Saturday, July 26, 2008

आसमान की तड़प


ये आसमान अपने गर्भ में कितनी रहस्यमई वेदनाओं को समाहित किए हुए है ।
कितनी आकाशगंगाओं और न जाने कितने अनछुए और अनजाने रहस्यों को
पनाह दिए हुए है ये आसमान ।
यही वो आसमान है जो दिन मे सूरज की हँसी और ओज को आसरा देता है
और रात में जब अँधेरा मात्र रह जाता है उसके साथ तो तारों के ताने भी
सहता है ।यूँ लगता है तारे टिमटिमा नहीं रहे बल्कि उसके मौजूदा हालात
पर किलकारियां भर रहे हों । हाँ वही हालात जबकि ख़ुद उसकी परछाई भी
उसका दामन छोड़ कहीं लुप्त हो जाती है । चाँद अपनी चांदनी की छटा बिखेर
कर उसे थोड़ा सांत्वना देना चाहता है मगर शायद उसे भी ये इल्म नहीं कि
तपते तवे पर अगर दो-चार बूंद पानी कोई बरसा भी दे तो उसकी अगन
कभी बुझी है भला।
आख़िर कहाँ जाए ये आसमान ,किसे सुनाये अपनी व्यथा-कथा ।
आसमान ने कभी सोचा कि इन छोटी उल्काओं से अपने दिल का हाल
बयां करे और उन्हीं से बांटे अपने गम।पर ये क्या अभी तो उसने अपनी
बात पुरी भी न की कि ये उल्काएं क्रोधित हो उठीं और अपने क्रोध की
ज्वाला में भस्मीभूत हो उठीं ।
हम इंसानों के पास दिल होता है ,ये उससे कभी किसी ने कहा था या
यूँ हीं अनायास उसने कहीं सुना था सो उसने सोचा अपनी दुखभरी
दास्तान हमसे बयाँ करे।उसने रात मे अपना दुखड़ा सुनाया,खूब रोया
जमकर आँसू बहाए मगर हम इनसानों नें ,जो उसी की पनाह में जीते
हैं उसकी छत के नीचे आसरा पाते हैं ,उसकी एक सुनी।यहाँ तक की
किसी ने उसके आँसुओं की वजह तक पूछी।ये क्या वह तो और दुखी
हो बैठा ।
कल रात भी आसमान को रोते देखा और यूँ लगा मानो वो कह रहा हो
कि वह रोता ही रहेगा तब तक,जब तक कि कोई उसकी गुहार सुन न
ले और उसके गम का कोई साथी मिल जाए ................................

5 comments:

Alien Coders said...

ji kavi mahoday agar aasman ko kabhi wo saathi mil gaya, mane dharti to sayad hamar aanssoo dekhne wala koi na hoga. isliye aasman ro ro kar dharti se kahta hai ke tyag hi pyar ka dusra roop hai

Jeet jayenge hum tu agar sang hai.......jindagi har kadam ek nayi jung hai

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

kya baat hai sir...u knw itz better 2 b a gud poet den a bad engineer...don't mind
datz v v nic
carry on n gud luk 4 future :-)

alfaaz said...

indblowing..etec tec..really gr8888

Nikhil Ranjan said...

sir..
kavita padh kar humari tarap dharti se jayada ho gayi hai....


bahut accha laga sir...